लोकगंगा और अतीत के बिखरे पन्ने का लोकार्पण

लोकगंगा और अतीत के बिखरे पन्ने का लोकार्पण
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देहरादून। त्रैमासिक पत्रिका लोक गंगा के देवतात्मा हिमालय विशेषांक व संस्मरण अतीत के बिखरे पन्ने का लोकार्पण प्रीतम रोड स्थित डा.रमेश पोखरियाल निशंक के कैंप कार्यालय में किया गया।
कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य अतिथि संस्कृत महाविद्यालय की पूर्व कुलपति डा. सुधा रानी पांडे, संस्कृति महाविद्यालय के विज्ञान संकाय डीन डा. दिनेश चमोला, गीतकार डा. बुद्धि नाथ मिश्र, सोमवारी लाल उनियाल, पूर्व निदेशक उच्च शिक्षा उत्तराखण्ड, डा. कमला पंत, शिक्षा विद, सावित्री काला, साहित्यकार डॉली डबराल ने किया। लोकगंगा के इस ताजे अंक पर चर्चा करते हुए डा.सुधारानी पांडेय, कमला पंत, डा. दिनेश चमोला ने कहा कि पुस्तक में हिमालय से जुड़ी विविध सामग्री को शोध परक रुप में दिया गया है। सोमवारी लाल उनियाल ने कहा कि हिमालय को कैमरे में कैद करना काफी नहीं उसे ह्दय में उतारने की जरुरत है। हेमचन्द्र सकलानी ने कहा की अतीत के बिखरे पन्नों में लेखक योगेश बहुगुणा जी ने मां का जिक्र बेहद मार्मिकता से किया है।

डा. सुधारानी पांडे ने कहा कि हिमालय हमारा शिक्षक है, अंतरात्मा है। हिमालय बचाना है तो नई पीढ़ी को इससे जोड़ना जरूरी है। संस्कृतिकर्मी नंदकिशोर हटवाल ने कहा कि हिमालय को लोक गंगा के जरिए समय-समय पर उकेरा गया है। संचालन डा. राम विनय ने किया। मौके पर नरेंद्र चौधरी, सुधा चौधरी, अश्विनी त्यागी, गीता गैरोला, विजय शुक्ला, अम्बर खरबंदा, डॉली डबराल, शांति जिज्ञासु, विजय जुयाल, पूनम नैथानी, रजनीश त्रिवेदी, इंदर देव रतूड़ी, डा. अनिल बलूनी, शिव मोहन, उषा मिश्र, पूनम पांडेय, मनोज पंजानी उपस्थित रहे।

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