जस्टिस फॉर अंकिता अभियान में धाद ने किया बच्चों से जेंडर संवाद कोना कक्षा का अभियान में डॉ सरस्वती सिंह ने स्थापित किया हिन्दू नेशनल स्कूल में किताबों का कोना

देहरादून । अंकिता हत्याकांड से उपजे सवालों में एक सवाल लैंगिक संवेदनशीलता का भी है। हमें अपनी भावी पीढी को इसके प्रति बहुत जागरूक करना है और इसकी पहली शुरुआत हर घर में बेटे को संवेदनशील बनाने और बेटी को सशक्त बनाने से होनी चाहिए। लड़कियों को भी लड़कों की तरह जीवन यापन का अधिकार है अतः हमें अपनी भावनाएं बदलने की आवश्यकता है।
लड़कियों को घर में भी यदि कोई इस तरह का भेदभाव होता है तो उसके खिलाफ अपनी आवाज उठानी चाहिए। ल़डका यदि माता पिता का वंश चलाता है तो लड़कियाँ तो दो दो वंश चलाती हैं। जेंडर विशषज्ञ दीपा कौशलम ने यह बात हिन्दू नेशनल कॉलेज में कोना कक्षा का कार्यक्रम में कही। शनिवार को धाद के शिक्षा में समाज के रचनात्मक भूमिका के अभियान कोना कक्षा का के अनतर्गत में डॉ सरस्वती सिंह ने हिंदू नेशनल स्कूल में किताबों का कोना भेंट किया। उन्होंने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि इस तरह की जो भी घटनाएं होती है उसके मूल में हमारी सोच ही महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा की स्कूल के संस्थापक मदन मोहन मालवीय की वह छात्र रही हैं और इसलिए स्कूल को वह उनकी स्मृति में पुस्तके देना चाहती हैं उन्होंने कहा कि किताबें ही रास्ता बताएंगी और हमें उन पर भरोसा रखना होगा। कॉलेज के प्रधानचार्य हरविंदर चौधरी ने कहा की वह आम समाज से अपने घर की उपयोगी पुस्तकों को स्कूल को भेंट करने की अपील कर रहे हैं जिससे स्कूल की लाइब्रेरी समृद्ध की जा सके। आयोजन का संचालन करते हुए कोना कक्षा का की और से आशा डोभाल ने कहा कि धाद ने संकल्प लिया है कि इस मुद्दे पर बच्चों के बीच जाया जाय और उन्हें इस विषय में संवदेनशील बनाने का प्रयास किया जाय। धाद के सचिव तन्मय ममगाईं ने कोना कक्षा के विचार को सबसे साझा करते हुए बताया की यह अभियान समाज की शक्ति से संचालित किया जाता है जिसमें हम समाज को अपने निकट के स्कूल/कालेज में किताबें भेंट करने के लिए प्रेरित करते हैं । आयोजन में छात्र छात्राओं ने भी संवाद में हिस्सा लिया। इस अवसर पर नीना रावत, दयानंद डोभाल, शुभम शर्मा एवं समस्त विद्यालय परिवार उपस्थित रहा।